१. अब मोरी बात, ताल : तीनताल, लय : द्रुत
Ab mori baat, Taal: Teentaal, Laya: Drut
स्थायी
अब मोरी बात मान ले पियरवा
जाऊं तोपे वारी वारी वारी वारी |
अंतरा
प्रेमपिया हमसे नही बोलत
बिनती करत मैं तो हारी हारी हारी हारी ||
This composition has been contributed by Devashree Navghare Bhargave.
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२. बेगी दरसवा देवो सजनवा, ताल : तीनताल, लय : द्रुत
Begi daraswa dewo sajanawa, Taal: Teentaal, Laya: Drut
स्थायी
बेगी दरसवा देवो सजनवा
तुम बिन मैं का कलना परत आली |
अंतरा
हमरे मन की तुम जानत हो
बात सबरंग कैसे कटे बरखा के दिनवा ||
This composition has been contributed by Devashree Navghare – Bhargave.
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३. डारो री डारो गुलाल केसर रंग, ताल : एकताल, लय : द्रुत
Daro re daro gulal kesar rang, Taal: Ektaal, Laya: Drut
स्थायी
डारो री डारो गुलाल केसर रंग, सहेल सहेली सब डारत रंग करात बरजोरी |
अंतरा
जैसो दिन बढ़त जात , वैसो रंग चढ़त जात, मारत पिचकारी ||
This composition has been contributed by Dr. Revati Kamat.
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This bandish is composed by Dr. Revati Kamat.
गगन चढी आयो, ताल: तीनताल, लय: द्रुत
Gagan chadhi aayo, Taal: Teentaal, Laya: Drut
स्थायी
गगन चढी आयो भानू दुपहारे तपत भयी तन मन की अती भारी |
अंतरा
कादंब की छैया ठाडे कन्हैया शुद्ध नाम सारंग बिराजत नाद रूप दोऊ ताप हारी ||
This bandish has been contributed by Madhavi Kelkar – Chakradeo.
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Pt. S.N.Ratanjankar has used Komal Nishad in this composition. Such usage is done in a limited fashion.