1. कोयलिया बोले अम्बुवा के डार पर, ताल : तीनताल, लय : मध्य
Koyaliya bole ambush ki daal par, Taal: Teentaal, Laya: Madhya
स्थायी
कोयलिया बोले अम्बुवा के डार पर,
मोहित सुरसो, हुलसावत जिया |
अंतरा
रहीलो ना जाय दरस उन पल छीन
रामरंग चेरी भयी वाके दामन की ||
This composition has been contributed by Dr. Vrushali Deshmukh.
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2. नंदको छैल मोरी गुईया, ताल: तीनताल, लय : मध्य
स्थायी
नंद को छैल मोरी गुईया, मानत न करत बरजोरी अब मै हरी
पैयाँ परू बिनती करू तापर सुनत नाही अंगवा छुवत मोरे मुरारी |
अंतरा
जमुना नीर जात – आत, रोके मग अचरा गहत
मटकी फोरत कान्हा हसके घेरत नैन मारत, सजनी कासे कहूँ बिपत अब मोरी ||
This bandish has been contributed by Leeladhar Chakradeo.
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This bandish has been composed by Pt. Govindrao Natu.