RAGA GUNKALI
1. बाजे डमरू हर खर, ताल : रूपक, लय : मध्यलय
स्थायी
बाजे डमरू हर खर
भस्म भुषण त्रिशूल खपर
व्याल माला गले बिराजे |
अंतरा
पंच बदन पिनाक धर शिव
वृषभ वाहन भूतनाथ
रुँड मुंडन सबन सोहे
अनादि पुरुष अनंत अगहर ||
This composition has been contributed by Ravikunj Panchal.
Other Comments:
This composition is also sung in the Dhrupad tradition.