1. तालसुरन की, ताल: तीनताल, लय: मध्य
स्थायी
तालसुरन की
सेवा तू कर हो गुनियन की |
अंतरा
सप्तसुरन के भेद बखानो सदारंग कहत है सांची ||
This composition has been contributed by Sugandha Laturkar.
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Here is a rendition of the same bandish by Pt. C R Vyas.
2. डार डार पात पात, ताल : तीनताल, लय : विलंबीत
स्थायी
डार डार पात पात तू ही समायो
तेरो ही रंग तू ही बनायो |
अंतरा
सब फूलन मे तेरो ही रंग और सुगंध
प्रेम कहत है जिन पायो उन छुपायो ||
This composition has been contributed by Sugandha Laturkar.
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Here is a rendition of the same bandish by Pt. C R Vyas.