1. रे भवानी! पधारो मोरे मंदरवा, ताल : तीनताल, लय : द्रुत
Re bhavani! Padharo more mandarwa, Taal: Teentaal, Laya: Drut
स्थायी
रे भवानी! पधारो मोरे मंदरवा, देवो आशीष हे जगदम्बा |
अंतरा
फूलन के हरवा तोहे चढ़ाऊँ, गेहेन पेहेन तोहे नित ही सजाऊँ, दीपन की माला सोहे आँगनवा ||
This composition has been contributed by Dr. Revati Kamat.
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This Bandish is composed by Dr. Revati Kamat.